Animal Movie Review:पहले दिन ही मचाया कहार,रणबीर कपूर का ये रूप देख फैन्स हो गए हैरान

फिल्म ‘एनिमल’ देखने से पहले जो सबसे जरूरी बात जाननी जरूरी है, वह ये है कि ये फिल्म सिर्फ वयस्कों के लिए है। कमजोर दिल के लोग इसे कतई न देखें। फिल्म का एडल्ट सर्टिफिकेट इस कहानी के उस स्वरूप के लिए है जिसमें वीभत्स, रौद्र, वीर और भयानक रसों का अतिरेक है। फिल्म की अंतर्धारा करुण रस है और इसमें हास्य, श्रृंगार, अद्भुत और भक्ति रसों का भी कहानी लिखते समय जगह जगह छिड़काव किया गया है। फिल्म को देखने की वजहें यूं तो तमाम हैं लेकिन ये फिल्म दो खास वजहों से खासी दर्शनीय बन पड़ी है। एक तो रणबीर कपूर के अब तक के सर्वश्रेष्ठ अभिनय के कारण और दूसरी इसकी पटकथा इतनी चुस्त है कि आखिरी दृश्य तक उत्सुकता बनाए रखती है। पारिवारिक मनोरंजन फिल्म न होने कारण इसके दर्शक कम हो सकते हैं, लेकिन साथ ही सच ये भी है कि सिर्फ वयस्कों के लिए बनी कोई संपूर्ण मनोरंजक फिल्म बड़े परदे देखे भी लोगों को अरसा हो चुका है। फिल्म ‘एनिमल’ दर्शकों की वह चाह पूरी करती है जो ओटीटी पर एडल्ट सीरीज देखते देखते लोगों को बहुत बोर कर चुकी है। फिल्म खत्म हो जाए तो सीट से उठना नहीं है क्योंकि एंड क्रेडिट्स के बाद का दृश्य दर्शकों के लिए ऐसा सरप्राइज है जिसके जल्द से जल्द पूरा होने का इस फिल्म को देखने वाले सभी दर्शकों को बेसब्री से इंतजार रहेगा।

बाप-बेटे की कहानी का तांडव

बाप-बेटे की कहानी का तांडवफिल्म ‘एनिमल’ जैसा कि रणबीर कपूर ने खुद कहा था कि ये एडल्ट ‘कभी खुशी कभी गम’ है, वैसी नहीं है। ये उससे कहीं आगे की बात करती है। ये पिता के अपने कामों में अति व्यस्त रहने के कारण कुंठा ग्रसित होते रहने वाले बालक रणविजय के भीतर भरे गुबार की ये कहानी है। कहानी शुरू होती है साल 2056 में, जब बुजुर्ग हो चुका एक बहुत बड़े कारोबारी साम्राज्य का मालिक अपने दोस्तों को राजकुमारी से छेड़छाड़ करने वाले बंदर की कहानी सुना रहा है। बालक बड़ा होता है तो अपनी बड़ी बहन को अपने पिता से बात करने की लगातार कोशिश करते देखता है। वजह? कॉलेज में कुछ लोगों ने उसकी रैगिंग की है। अपनी दीदी को छेड़ने वालों को वह सबक सिखाता है। कॉलेज में स्टेनगन लेकर घुस जाता है। ये सब देखकर पिता अपने बेटे को क्रिमिनल बताता है और उसे बोर्डिंग स्कूल भेज देता है। कहानी फिर आगे आती है। इस बार वहां जहां बालक की नौवीं क्लास की दोस्त की मंगनी हो रही है। वह उससे सवाल करता है। उधर, पिता अपने बेटे को घर निकाला दे देता है। लड़की अपने भाई के साथ उसके घर आती है और दोनों अमेरिका चले जाते हैं। बेटा वापस तब लौटता है जब पिता के ऊपर प्राणघातक हमला होता है। बेटा ऐलान करता है, ‘जिस किसी ने भी मेरे पापा बलबीर सिंह पर गोली चलाई है, उसका गला मैं अपने हाथ से काटूंगा।’ लगने लगता है कि घर का भेदी ही लंका ढा रहा है, लेकिन कहानी में असली मोड़ तब आता है जब ये दुश्मनी खानदानी निकलती है।

संजू’ से भी आगे निकल गए रणबीर कपूर

रणबीर कपूर की फिल्म ‘संजू’ अब तक उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जाती है। इस फिल्म में रणबीर कपूर इतने संजय दत्त लगे कि खुद संजय दत्त उतने संजय दत्त अब नहीं लगते हैं। इसी संजय दत्त की झलक फिल्म ‘एनिमल’ में भी दिखती है। रणविजय यहां अपने परिवार की सुरक्षा के लिए हथियार उठाता है। पिता कहता भी है, ‘अगर मैं सिर से हाथ उठा लूं तो तुम जेल में होगे।’ पिता पुत्र के बीच की इस खटास का पूरी कहानी पर असर रहता है और वापस अमेरिका जाने की तैयारी कर चुका बेटा जब अपने पापा से ये कहता है कि हम दोनों वही दिन दोहराते हैं जब माइकल जैक्सन का शो छोड़कर बेटे ने पापा का उनके जन्मदिन पर इंतजार किया था तो फिल्म का पूरा मर्म बहकर बाहर आ जाता है। रणबीर कपूर ने एक किशोरवय रणविजय से लेकर एक क्रूर, वहशी और खूंखार विजय तक का किरदार बहुत ही शानदार तरीके से निभाया है। ‘केजीएफ 2’ में यश के रोल में हिंदी सिनेमा का खोया एंग्री यंगमैन तलाशने का समय अब पूरा हुआ। हिंदी सिनेमा को एक नया एल्फा एंग्री यंगमैन फिल्म ‘एनिमल’ में मिल गया है। रणबीर कपूर का अभिनय फिल्म के हर दृश्य में लाजवाब है। और, अपनी बचपन की प्रेमिका के साथ के जो रणविजय के दृश्य हैं, उनमें रणबीर कपूर ने हर उस दिल को छुआ है, जिसने वाकई कभी सच्ची मोहब्बत की है।

संजू’ से भी आगे निकल गए रणबीर कपू

रणबीर कपूर की फिल्म ‘संजू’ अब तक उनके करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जाती है। इस फिल्म में रणबीर कपूर इतने संजय दत्त लगे कि खुद संजय दत्त उतने संजय दत्त अब नहीं लगते हैं। इसी संजय दत्त की झलक फिल्म ‘एनिमल’ में भी दिखती है। रणविजय यहां अपने परिवार की सुरक्षा के लिए हथियार उठाता है। पिता कहता भी है, ‘अगर मैं सिर से हाथ उठा लूं तो तुम जेल में होगे।’ पिता पुत्र के बीच की इस खटास का पूरी कहानी पर असर रहता है और वापस अमेरिका जाने की तैयारी कर चुका बेटा जब अपने पापा से ये कहता है कि हम दोनों वही दिन दोहराते हैं जब माइकल जैक्सन का शो छोड़कर बेटे ने पापा का उनके जन्मदिन पर इंतजार किया था तो फिल्म का पूरा मर्म बहकर बाहर आ जाता है। रणबीर कपूर ने एक किशोरवय रणविजय से लेकर एक क्रूर, वहशी और खूंखार विजय तक का किरदार बहुत ही शानदार तरीके से निभाया है। ‘केजीएफ 2’ में यश के रोल में हिंदी सिनेमा का खोया एंग्री यंगमैन तलाशने का समय अब पूरा हुआ। हिंदी सिनेमा को एक नया एल्फा एंग्री यंगमैन फिल्म ‘एनिमल’ में मिल गया है। रणबीर कपूर का अभिनय फिल्म के हर दृश्य में लाजवाब है। और, अपनी बचपन की प्रेमिका के साथ के जो रणविजय के दृश्य हैं, उनमें रणबीर कपूर ने हर उस दिल को छुआ है, जिसने वाकई कभी सच्ची मोहब्बत की है।

Leave a comment